Yodha Movie Review: सिद्धार्थ मल्होत्रा बन ही गए बॉक्स ऑफिस के ‘योद्धा’, सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा का शानदार डेब्यू

Khabri Bala
Yodha Movie Review
yodha movie review- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

करण जौहर ने बतौर निर्माता कई नई प्रतिभाओं को मौका दिया है। इनमें से पहचाने जाने वाले चेहरे चूंकि फिल्मी परिवारों से होते हैं तो लोग उनकी तरफ ही ज्यादा लपकते हैं। करण इस बार दो ऐसे नए होनहार फिल्म ‘योद्धा’ में लाए हैं जिनकी तरफ अब तक लोगों का ध्यान कम ही गया है। लेकिन, इस फिल्म के बाद ये दोनों हिंदी सिनेमा के काबिल निर्देशकों के साथ ही साथ नई पसंद के निर्देशकों में भी अपना नाम लिखाने में कामयाब होते दिख रहे हैं।

आदित्य धर और सिद्धार्थ आनंद जैसे न्यू एज निर्देशकों की शागिर्दी में अपना हुनर तराशते रहे सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा को करण जौहर ने बड़ा मौका दिया है फिल्म ‘योद्धा’ के निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपकर और दोनों ने अपनी पहली ही फिल्म में साबित कर दिया है कि निर्माता उनके साथ हो तो वे भी ‘पठान’ और ‘जवान’ जैसी फिल्म बनाने का माद्दा रखते हैं।

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Yodha Movie Reviewउम्मीदों से कहीं आगे की फिल्म

सच पूछा जाए तो फिल्म ‘योद्धा’ को देखने की दिलचस्पी जगाने लायक कोई काम फिल्म की मार्केटिंग टीम ने फिल्म की रिलीज के दिन तक नहीं किया है। सिद्धार्थ मल्होत्रा को देश भर के अलग अलग शहरों में घुमाने के बाद भी इस फिल्म की हाइप सही दिशा में नहीं बनाई गई है। फिल्म ‘योद्धा’ इस साल की पहली सटीक सस्पेंस, एक्शन थ्रिलर है।

जीरो फीसदी उम्मीद के साथ शुरू होने वाली फिल्म अपने उपसंहार तक आते आते सौ में 80 नंबर ले जाती है तो इसका सबसे बड़ा क्रेडिट फिल्म के दोनों निर्देशकों को जाता है। फिल्म की पटकथा इतनी चुस्त और परतों वाली है कि दर्शक लगातार इसकी पहेलियां सुलझाने में ही उलझा रहता है। सिद्धार्थ मल्होत्रा के अभिनय क्षमता की अपनी सीमाएं रही हैं, लेकिन इस बार इनसे आगे जाने की कोशिश भी उन्होंने की है। फिल्म का सबसे बड़ा मजबूत पक्ष है इसकी तीनों मुख्य अभिनेत्रियों को मिले अच्छे किरदार।

Yodha Movie Reviewतीन देवियां और एक हीरो

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फिल्म ‘योद्धा’ की कहानी में तीन महिलाएं हैं। एक भारत सरकार में सीनियर पोजीशन पर है। दूसरी एयर होस्टेस है और तीसरी पायलट। इन तीनों की कहानियों के केंद्र में एक योद्धा है। योद्धा यानी जल, थल और नभ सेना के जाबांज लड़ाकों की एक ऐसी टीम जो किसी भी हालत में दुश्मन पर हमला करके उसके इरादे नेस्तनाबूद कर सकती है। इनके लीडर ने जाबांजी अपने पिता से विरासत में पाई है। शहीद स्मारक पर वह पिता के नाम पर दुलार फिराता है।

पत्नी को मिसेज कत्याल कहकर बुलाता है और हवाई जहाज के कल पुर्जे ऐसे पहचानता है जैसे कॉलेज की पढ़ाई उसने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की ही की हो। कहानी अपनी टाइमलाइन में मेंढक सी उछलती आगे बढ़ती है और असल मुद्दे तक आने के बाद दर्शकों को ऐसा अपने जाल में फंसाती है कि क्लाइमेक्स पर कहानी के साथ लैंड करने के अलावा दर्शकों के पास दूसरा कोई चारा बचता नहीं है।

दो नए निर्देशक, दोनों दमदार निर्देशक
सागर आम्ब्रे और पुष्कर ओझा की फिल्म ‘योद्धा’ पर इसे बनाने वालों को कितना भरोसा रहा होगा, ये तो अभी रिलीज के बाद आने वाले इंटरव्यूज में पता चलेगा लेकिन पहले बीते साल 7 जुलाई और फिर 8 दिसंबर को रिलीज की तैयारी कर चुकी ये फिल्म अब 15 मार्च को आकर क्यों रिलीज हो पाई है, इस पूरी टाइम लाइन में हिंदी सिनेमा की भी एक कहानी छुपी हुई है।

बीते साल फिल्म ‘पठान’, ‘जवान’, ‘गदर 2’ जैसी फिल्मों से देशप्रेम की चाशनी में पगी जलेबी सी गोल गोल घूमती एक्शन कहानियों का जो सिलसिला हिंदी सिनेमा ने अपने सीने से लगाया है, उसका नया प्यार है, फिल्म ‘योद्धा’। फिल्म में शाहरुख खान या सनी देओल जैसा हीरो तो नहीं है लेकिन, इस फिल्म की रिलीज के बाद सिद्धार्थ मल्होत्रा अब उनसे कुछ ज्यादा कम भी नहीं है। नई पीढ़ी के दर्शकों को उनका हमउम्र एक्शन हीरो अब जाकर मिला है। टाइगर और कार्तिक जहां चूके, वहां सिद्धार्थ ने अपना नाम लिखा लिया है।

Yodha Movie Reviewकहानी में किरदार और किरदारों में कहानी
सिद्धार्थ मल्होत्रा को फिर से बड़े परदे पर स्थापित करती इस फिल्म का रहस्य, रोमांच आखिर तक साधे रहने में इसके तीन कलाकारों राशि खन्ना, दिशा पाटनी और सनी हिंदूजा ने अच्छा काम किया है। राशि खन्ना को भारत सरकार के सचिवालय में शुरू से ही कार्यरत दिखाकर सागर आम्ब्रे ने घर के भीतर ही दो पाले खींच दिए।

इस आंतरिक संघर्ष से फिल्म को एक अंतर्धारा भी मिलती है। दिशा पाटनी का काम आमतौर पर किसी फिल्म में खूबसूरत दिखना ही होता है लेकिन फिल्म में पहली बार ही जब वह साड़ी मे दिखती हैं तो मामला कुछ रोचक समझ में आता है। और, दिशा का किरदार जैसे जैसे अपनी असली दिशा की तरफ बढ़ता है, मामला दिलचस्प भी होता जाता है।

दोनों ने अपने अपने किरदार बहुत ही संजीदगी से और बिना ओवरएक्टिंग किए निभाए हैं। सरहद के दूसरी तरफ बैठे आतंकवादी जलाल के किरदार में सनी हिंदूजा को किसी हिंदी फिल्म में मुख्य खलनायक का मिला ये अहम किरदार है। हालिया रिलीज वेब सीरीज ‘एस्पिरेंट्स’ और ‘द रेलवे मेन’ से सनी की साख सिनेमा में बढ़ी है। ‘योद्धा’ का किरदार उन्हें नई पहचान दिलाने में कामयाब होता दिख रहा है।

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करण जौहर ने जुटाई बेस्ट टीम

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करण जौहर ने इस फिल्म के लिए बेस्ट टीम बनाई है। जिश्नू भट्टाचार्य की सिनेमैटोग्राफी और शिवकुमार पैनिकर की एडिटिंग ने फिल्म ‘योद्धा’ की रफ्तार को इसकी कहानी के साथ पहले सीन से ही जोड़े रखा है। दोनों की सागर और पुष्कर के साथ ट्यूनिंग का ही नतीजा है कि फिल्म को जहां खूबसूरत दिखना होता है, वहां वह दर्शकों को मोहती चलती है और जहां मामला सीट का कोना थामकर बैठने का होता है, वहां ये चौकड़ी मिलकर दर्शकों का कलेजा मुंह को भी ले आती है।

गीतकार और संगीतकार फिल्म में ढेर सारे हैं तो पता नहीं चलता कि कौन सा गाना किसने लिखा और किसने संगीतबद्ध किया है? क्रेडिट्स का डिटेल इन दिनों मांगने पर भी प्रोडक्शन हाउस की तरफ से कम ही मिलता है।

हां, फिल्म में देशभक्ति का एक गाना अच्छा है। रोमांटिक गाना भी जानदार होता तो कुछ और बात होती। अरसे से अगर आपकी इच्छा एक एक्शन, सस्पेंस थ्रिलर देखने की रही है तो फिल्म ‘योद्धा’ इस वीकएंड आपकी बेस्ट च्वॉयस हो सकती है। फिल्म के कुछ संवाद आपको तालियां पीटने पर भी मजबूर करेंगे। यहां लिख नहीं रहा हूं, क्योंकि परदे पर पहली बार देखने-सुनने का फिर मजा जाता रहेगा।

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